आप सबको मेरी कहानी "
प्यारी मोना-1,
प्यारी मोना-2"
पसंद आई,
इसके लिए धन्यवाद !
उसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए आगे का किस्सा सुनाता हूँ ...
मोना के साथ मेरे सम्बन्ध चल निकले थे,
हफ्ते में कम से कम एक बार हमे मौका मिल ही जाता था। हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुश थे और दोनों जिंदगी के मजे ले रहे थे।करीब दो साल तक हमारा रिश्ता रहा और हमने अपनी हर कल्पना को साकार किया.....
रोल प्ले से ले कर के लिफ्ट में अर्ध-
सेक्स तक....
फ़ोन-
सेक्स से लेकर बाथरूम में सेक्स तक...
सब कुछ कर चुके थे...
इसलिए हम दोनों में कोई तनाव नहीं था...
हाँ धीरे-
धीरे मैं उससे प्यार करने लगा था....
मुझे सच में उससे प्यार होने लगा था और मैं उसे खोना नहीं चाहता था। मैं अपने मूल मकसद (
केवल यौन सम्बन्ध)
से दूर हट चुका था और उसके साथ जिंदगी सजोने के सपने देखने लगा था....
मगर भगवान को शायद यह मंजूर नहीं था...
और कुछ ऐसा ही हुआ....
जब मैं बी टेक के आखिरी साल में पंहुचा तो मेरी नौकरी कैम्पस साक्षात्कार के जरिये एक अच्छी और बड़ी कंपनी में हो गई...
और धीरे धीरे वो मुझसे दूर होने लगी...
क्योंकि उसे लगने लगा था कि शायद मैं उसे छोड़ दूंगा। उसे लगा कि मैं कहीं और नौकरी करूँगा तब मुझे कोई और लड़की मिल जाएगी....
पर यह सिर्फ उसकी सोच थी,
मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था और मैं उससे ही शादी करना चाहता था.....
फिर एक दिन अचानक से उसने मुझे कहा-
अगर मुझे प्यार करते हो तो अभी मुझसे शादी करो !
वरना मुझे भूल जाओ ...
तब मेरी पढाई पूरी होने में भी वक़्त था तो आप समझ ही गए होंगे कि मुंगेरी लाल के हसीं सपने मैं नहीं देखना चाहता था इसलिए मैंने उसे समझाने की कोशिश की मगर वो नहीं मानी।मजबूरन मुझे उससे दूर होना पड़ा....
हाँ !
दर्द बहुत हुआ मगर मुझे यह इत्मीनान था कि उसे धोखा नहीं दिया मैंने.....
मेरा कॉलेज में आखिरी दिन था,
वो मुझसे मिली और बोली-
मैं तुमसे एक आखिरी बार मिलना चाहती हूँ अकेले में..
मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था पर वो सच में मेरे सामने थी और मुझसे मिलने की बात कर रही थी ..
मैं बहुत खुश हुआ,
सोचा कि शायद उससे बात करने का और समझाने का मौका मिल जायेगा ....
और मैं निर्धारित समय, 28
अप्रैल शाम के 5
बजे उसके बताए हुए स्थान (
मधुबन रेस्तरां)
पहुँच गया...
उसने काले रंग का सलवार-
सूट पहना था और बहुत ही कमाल लग रही थी.....
हम दोनों साथ में कुछ जलपान करने लगे और बातों का सिलसिला चल निकला..
मोना-
क्या तुम अब भी मुझसे प्यार करते हो?
मैं-
हाँ मैं तुमसे हमेशा ही प्यार करता हूँ !
मोना-
एक आखिरी बार मेरी बात मानोगे?
मैं -
क्यों नहीं..
आखिरी बार क्यों !
हमेशा मानने को तैयार हूँ !
फिर मैं पूछता रह गया,
मगर उसने कुछ बताया नहीं कि क्या बात है.....
खैर मैं उसे छोड़ने उसके घर तक गया,
उसने कहा-
चलो !
अन्दर चलो !
चाय पीकर चले जाना...
मैंने भी सोचा-
इसी बहाने कुछ और वक़्त मिल जायेगा..
सो मैं उसके पीछे-
पीछे चल पड़ा....
उसके घर कोई नहीं था उस वक़्त...
उसकी माँ और पापा दोनों आफिस गए थे और उसकी बहन कोचिंग गई थी...
हमने वहाँ चाय पी और फिर मैंने जोर देकर उससे पूछा-
तुम कुछ कह रही थी?
बोलो न !
उसने कुछ कहा नहीं और सीधे मेरे सामने आ कर अपनी कमीज उतार दी और बोली-
क्या यह तुम्हें अब पसंद नहीं है ?
मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था,
उसकी चूचियाँ जो पहले 32
की थी,
आज 34
की लग रही थी। यह मेरी ही मेहनत का फल था,
पर मुझे नहीं पता था।मैं अपने होश खो रहा था और मेरा लंड आपे से बाहर हो रहा था। जींस में मुझे अपने लंड को संभालना मुमकिन नहीं लग रहा था और मुझे मानो सांप ने काट लिया हो...
मेरे मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था।उसने अपनी बात दोहराई-
क्या तुम्हें ये पसंद नहीं हैं?
मुझे तब जाकर होश आया और मैंने लपक के उसके गालों को चूम लिया और उसे अपनी बाहों में भर लिया.....
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और अधर-
पान करने लगा....
करीब चार महीने बाद मुझे यह मौका मिला था तो मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी......
उसके होंठ को चूसते हुए मैंने अपने हाथ उसके दूध पर रख दिए और उसको मसलने लगा.....
वो भी मेरे होठों का जम कर रसपान कर रही थी,
उसने कहा-
बहुत दिनों से तड़प रही हूँ !
मेरी जान.....
प्यास बुझा दो मेरी....
मैंने उसके स्तनों को दबाना चालू कर दिया और उसके चुचूक को मसलने लगा उसकी ब्रा के ऊपर से ही....
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी,
वो सिसकार रही थी और मैं पागल हो रहा था...
मैंने उसकी ब्रा के हुक तोड़ दिए और उसकी नारंगियों को आजाद कर दिया.....
उसकी संतरे जैसे चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई और उसके चुचूक मानो तन कर एक इंच के हो गए थे। बड़ी ही मोहक लग रही थी वो इस मुद्रा में.....
मैंने उसके चुचूक को मुँह में भर लिया और चूसने लगा बिल्कुल एक बच्चे की तरह...
दूसरे चुचूक को मैं चुटकी में भर कर मसलने लगा....
अचानक ही मैंने उसके चुचूक पर दांत गड़ा दिए और वो चिहुंक उठी-
आऽऽहऽऽ ........
मार डालोगे क्या?
मैंने कहा-
जान इतने दिनों बाद मिल रही हो !
ऐसे थोड़े ही न मार डालूँगा..
मैं तो तुम्हारी मार डालूँगा आज !!
और फिर मैंने उसकी सलवार को खोल कर उसकी पैंटी में अपना हाथ डाल दिया और उसके भगनासा को मसलने लगा....
वो मस्ती में भर उठी और उसकी चूत पनिया गई,
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा हाथ चिकनाई से लबालब हो उठा.....
फिर मैंने उसे उठा कर सोफे पर पटक दिया और उसकी पैंटी निकाल फेंकी.....
अब वो मेरे सामने पूर्ण नग्नावस्था में थी और मैं उसकी गुलाबी चूत के दर्शन कर रहा था...
पर आज मेरा मन कुछ और कर रहा था। मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया और उसने बड़े ही प्यार से उसको अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी....
मुझे तो मानो जन्नत का आनन्द मिल रहा था,
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मेरे अंडकोष चाट रही थी और पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.....
लंड चूसने में उसका जवाब नहीं था....
ऐसे चूस रही थी मानो जन्म-
जन्म की प्यासी को गन्ना का टुकड़ा मिल गया हो.....
फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसे आगे की तरफ झुकने को कहा,
उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और आगे की तरफ झुक गई....
मैंने पीछे की तरफ से उसके स्तनों को अपनी मुठी में पकड़ लिया और उसकी चूत के नीचे बैठ कर उसके चूत का रस पान करने लगा.......
रस पीते-
पीते मैंने उसकी गांड के छेद में एक ऊँगली डाल दी। उसने अपनी गांड भींच ली,
मेरी ऊँगली एकदम क़स गई। मैंने ध्यान से उसके चूतड़ों को देखा.....
मैंने उसकी गांड कभी नहीं मारी थी,
मैंने फैसला कर लिया कि आज उसकी गांड मारूँगा.....
मैं उठ खड़ा हुआ और थोड़ी सी जेली अपने लण्ड पर लगाई,
फिर थोड़ी सी जेली लेकर उसकी गांड के छेद से लेकर चूत तक लगा दी,
जिससे उसके चूत से उसकी गांड तक एक फिसलन भरा रास्ता बन गया और उसकी गाण्ड और चूत के मुँह पर ढेर सारी जेली लगा कर मैंने पूरा चिकना कर दिया।उसने मुझे आगाह किया कि वो मुझे गांड नहीं मारने देगी !
मैंने भी कहा-
नहीं जान !
मैं तुम्हारी चूत ही मारूँगा...
गांड नहीं मरूँगा.....
फिर मैंने अपने लंड के सुपारे को उसके चूत के पास सटा दिया,
जानबूझ कर छेद पर नहीं लगाया,
मैं नहीं चाहता था कि लंड चूत में जाये !
मैंने चूत के छेद से गांड के छेद तक इसलिए ही फिसलन वाला रास्ता बनाया था....
मैंने चूत के पास लण्ड सटा कर उसके ऊपर झुक गया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे से अपनी कमर आगे की। लंड फिसल गया...
मैंने फिर से लंड को चूत के पास लगा कर एक धक्का लगाया और लंड फिसल के गांड के छेद से टकरा गया। इस बार मैंने फिर से सेट कर के एक जोर का करार झटका मारा और लंड अपने फिसलन भरे रास्ते से होकर उसकी गांड के छेद में घुस गया।वो चिल्ला उठी-
विक्की मैंने मना किया था ना ...
निकाल लो इसे प्लीज़ !
मैं मर जाउंगी....
दर्द हो रहा है..
निकाल ले साले....
निकाल ले.....
मैं कहाँ मानने वाला था....
मैंने उसे जोर से जकड़ लिया और एक धक्का लगा दिया....
लंड थोड़ा और आगे सरकते हुए उसकी तंग गांड में थोड़ा और अन्दर चला गया।उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे और वो मेरी मिन्नत करने लगी-
प्लीज़ निकाल लो विक्की !
मैं तुम्हारे आगे हाथ जोडती हूँ...
मारना है तो चूत मारो मेरी..
पर मेरी गांड छोड़ दो प्लीज़...
मैंने उसकी एक न सुनी और एक जोरदार झटका दे दिया और मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया.....
मुझे ऐसा लगा मानो मेरे लंड को किसी ने गरम भट्टी में डाल दिया हो और उसको क़स के जकड़ लिया हो।और फिर मैंने उसके दूध को जोर जोर से मसलना शुरु कर दिया,
जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिए। करीब 5
मिनट के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो गांड धीरे धीरे पीछे की ओर धकेलने लगी.....
मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए और उसके गांड में अब मेरा लंड आराम से अन्दर-
बाहर जाने लगा....
वो हर धक्के का जवाब दे रही थी......
और उसे मस्ती चढ़ने लगी-
आःह्ह मेरे विक्की....
मैं कब से इस दिन का सपना देख रही थी...
पर तुमने मौका नहीं दिया....
डरती थी कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ.....
इसलिए गांड मरवाने में नाटक कर रही थी....
चोदो मुझे ....
जोर जोर से चोदो .....
फाड़ डालो मेरी गांड को........
उसके ऐसे शब्द सुन कर मुझे जोश आ गया और मैं उसको उठा कर खुद लेट गया और उसको अपने ऊपर बैठा लिया। उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी गाण्ड पर सेट किया और मेरे ऊपर बैठ गई। लंड महाराज आराम से अन्दर चले गए। फ़िर वो मेरे ऊपर उछलने लगी और मुझे चोदने लगी।मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी,
मैं स्खलित होने वाला था। उसने भी अपने धक्के तेज कर दिए और वो जोर जोर से उछलने लगी.....
मैंने अपना लंड निकाल के उसको लेटा दिया,
उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा.....
करीब 20
मिनट के बाद मेरा स्खलन हो गया और जैसे ही मेरा वीर्य उसकी चूत में गिरा..
उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे.....
अब रात के करीब साढ़े नौ बज रहे थे...
मैंने उसे चुम्मी देकर फोन पर बात करने का वादा किया और उसके घर से निकल आया.....
आज मेरी और उसकी सिर्फ बातें होती है....
आपके खतों का बेसब्री से इंतज़ार करते हुए...
Title : प्यारी मोना-3
Description : आप सबको मेरी कहानी " प्यारी मोना -1, प्यारी मोना -2" पसंद आई , इसके लिए धन्यवाद ! उसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए आगे ...
Rating : 5